Wednesday 15 June 2011

ख्वाब

जो ख्वाब हकीकत में देखा था कभी,
वो हकीकत भी एक ख्वाब बन के रह गया.....
वो हमारे हैं,वो हमारे हैं,वो हमारे हैं...
कह डाला सारे ज़माने से हमने,
कल उनकी शादी है,कोई हमसे आके कह गया????

वक़्त


ना हम , ना तुम ,और ना  ही ये किसी का कसूर है,
ये वक़्त ही  तो है, जिसके हाथों हर कोई मजबूर है ??

है मोहब्बत का इजहार  तो, आगाज़  वक़्त है,
है मोहब्बत जनाज़ा , तो आवाज़ वक़्त है,
लोगों के नाम तो बस यू ही,ले लिए जाते हैं....
गर गौर से देखा जाए ,हर शै का अंजाम वक़्त है!!

कोई मिला,कोई बिछड़ा ,कोई फना हो गया,
कोई हंसा,कोई रोया, कोई किसी जहां में खो गया,
कोई किसी के लिए,कोई किसी के चलते,
ना चाहकर भी,किसी का हो गया........

किसी का नहीं कोई,ना कोई किसी का होता है,
वक़्त है सब की वजह,वक़्त से ही सब  होता है,
ना हम , ना तुम ,और ना ही ये किसी का कसूर है,
ये वक़्त ही तो है, जिसके हाथों हर कोई मजबूर है ??

16th जून  2011






Tuesday 17 May 2011

अभिव्यक्ति

है अभिव्यक्ति, प्रतिव्यक्ति, ये विरक्ति,
अश्रु लिए नैनों  में सह ये क्षति,
मृगनैनी है, मृगतृष्णा....हो संकुचित!!
ना मन, तू रुक जा,तू रुक जा किसी से प्रेम ना कर....

माला!! जो थी वरमाला,
अब है अश्रुमाला,हाँ अश्रुमाला,
सारे सपने, बिखरे बन मोती कण,
ना मन, तू रुक जा,तू रुक जा किसी से प्रेम ना कर....

जीवन बना घनघोर तिमिर,
मन एकांकी एक समर...
कैसे युद्ध  करे किस से,
ना मन, तू रुक जा,तू रुक जा किसी से प्रेम ना कर....

Monday 16 May 2011

माँ,तुझे मेरी कसम,तू कभी नहीं मरना.......

माँ,
तू मुझे प्यारी है,
तू बड़ी  प्यारी है..
तू मेरी प्यारी है..

माँ,
 न मुझे खाना चाहिए,
 न मुझे पानी चाहिए,
 न मुझे खिलोने चाहिए,
 न मुझे बिछोने चाहिए...

माँ,
मुझे दूर न कर,
मुझे मजबूर न कर

माँ,
तुने मुझे वो सब दिया,
जो मैं मांग नहीं सकता,
तुने वो सब किया,
जो मैं बोल नहीं सकता,

माँ,
तू मुझे छोड़ के मत जाना,
तू कभी न मरना,तू कभी न मरना.......

माँ,
तुझे मेरी कसम,तू कभी न मरना...
मेरे रहते तुझे क्या चिंता,
मैं तेरा साथ निभाऊंगा,
तू रोना मत,बीमार न पड़ना,
तुझे मेरी कसम
तू कभी न मरना.......

माँ,
मैं नहीं जानता,
तू कहाँ से आई है,
कैसे आई है,
तुने क्या क्या
मुसीबते उठाई हैं,

माँ,
मैं नहीं जानता,
तू कब से नहीं सोयी है,
तू इतना क्यूँ रोई है,
तुझे इतनी बेचैनी क्यूँ है,

माँ,
मुझे बस इतना पता है,
तू ही मेरी रोटी है,
तू ही मेरा खाना है,
तू ही मेरी नींद है,
तू ही मेरा सपना है,
तू ही मेरा है बिछोना,
तू ही मेरा है खिलौना...

माँ,
तुझे मेरी कसम,
तू कभी नहीं मरना.......

आज मेरी रौशनी से मुलाक़ात हुई...

आज मेरी रौशनी से मुलाक़ात हुई...
पुछा,कहाँ हो? आजकल दिखाई नहीं देती!!
रौशनी ने मुस्करा कर तिरछी नज़र से देखा,
जैसे उसे मुझ पर हंसी आ रही हो ??

तरस खा कर मुझसे कहा रौशनी ने,
बड़ी देर लगा दी,कहाँ खो गए थे??
मैंने कहा,पता नहीं,दूर दूर तक ढूढ़ा,
पर तुम्हें कही पाया नहीं?

रौशनी हंसी,कहा..पलटकर पीछे देखते..
मैं तुम्हारे पीछे ही तो थी!!
आज मैं पछताया..........
पीछे मुड़कर न देखने वाली आदत को लेकर......

Sunday 15 May 2011

क्या मैं तुमको पा न सकूंगा...

क्या मैं तुमको  पा न सकूंगा...
बिना तुम्हारे कैसे जिऊंगा....


कैसे कहूँगा तुमको वो सब,
जो भी दिल में है मेरे,
अपने भोले भाले दिल को,
कुछ भी मैं समझा न सकूंगा?

क्या मैं तुमको...

तुम ही तो जीवन हो मेरा,
जबसे जीवन में आये,
दूर हो गए अब तो मुझसे,
मेरे अपनों के भी साए...
ले के चलूँगा तुमको अब मैं,
लेकिन ले कर कैसे चलूँगा?

क्या मैं तुमको पा न सकूंगा...

देखो, बिन तेरे,  जीवन में,
मेरे सुर्ख अँधेरे हैं,
कहाँ हैं सपने,यहाँ बस आंसू,
ये ही तो अब मेरे हैं....
ख्वाब तुम्हारे बिना अब,
जीवन के मैं कैसे बुनूँगा,

क्या मैं तुमको पा न सकूंगा...

जाने क्यूँ वक़्त हुआ बेवफा...

जीवन जैसे घोर तिमिर,
मीलों लम्बी अँधेरी गुफा...
पग पग पर लगती ठोकर,
जाने क्यूँ  वक़्त हुआ बेवफा...

न कुछ सोचा,न कुछ समझा,
जीवन का दांव लगा डाला..
सबकी खुशियों की खातिर,
आपको अपने मिटा डाला...
जो भी आस लगाईं कभी,
पलक झपकते टूट गयी..
आस लगाते न वक़्त हुआ,
खुशियाँ सारी रूठ गयी...

जीवन जैसे घोर तिमिर....


पंख कटे हम उड़ न पाए,
अभी अभी तो पंख थे आये.
मार के अरमां,पीकर आंसू,
मौत को देखा आस लगाए,
जीवन  से तो ना जीत सके,
पर मौत को भी न रास आये,
दूर हो गए हम सदियों तक,
सालों में जो पास आये....

जीवा जैसे घोर तिमिर,
मीलों लम्बी अँधेरी गुफा,
पग पग पर लगती ठोकर,
जाने क्यूँ  वक़्त हुआ बेवफा...