Sunday 15 May 2011

क्या मैं तुमको पा न सकूंगा...

क्या मैं तुमको  पा न सकूंगा...
बिना तुम्हारे कैसे जिऊंगा....


कैसे कहूँगा तुमको वो सब,
जो भी दिल में है मेरे,
अपने भोले भाले दिल को,
कुछ भी मैं समझा न सकूंगा?

क्या मैं तुमको...

तुम ही तो जीवन हो मेरा,
जबसे जीवन में आये,
दूर हो गए अब तो मुझसे,
मेरे अपनों के भी साए...
ले के चलूँगा तुमको अब मैं,
लेकिन ले कर कैसे चलूँगा?

क्या मैं तुमको पा न सकूंगा...

देखो, बिन तेरे,  जीवन में,
मेरे सुर्ख अँधेरे हैं,
कहाँ हैं सपने,यहाँ बस आंसू,
ये ही तो अब मेरे हैं....
ख्वाब तुम्हारे बिना अब,
जीवन के मैं कैसे बुनूँगा,

क्या मैं तुमको पा न सकूंगा...

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