Tuesday 17 May 2011

अभिव्यक्ति

है अभिव्यक्ति, प्रतिव्यक्ति, ये विरक्ति,
अश्रु लिए नैनों  में सह ये क्षति,
मृगनैनी है, मृगतृष्णा....हो संकुचित!!
ना मन, तू रुक जा,तू रुक जा किसी से प्रेम ना कर....

माला!! जो थी वरमाला,
अब है अश्रुमाला,हाँ अश्रुमाला,
सारे सपने, बिखरे बन मोती कण,
ना मन, तू रुक जा,तू रुक जा किसी से प्रेम ना कर....

जीवन बना घनघोर तिमिर,
मन एकांकी एक समर...
कैसे युद्ध  करे किस से,
ना मन, तू रुक जा,तू रुक जा किसी से प्रेम ना कर....

Monday 16 May 2011

माँ,तुझे मेरी कसम,तू कभी नहीं मरना.......

माँ,
तू मुझे प्यारी है,
तू बड़ी  प्यारी है..
तू मेरी प्यारी है..

माँ,
 न मुझे खाना चाहिए,
 न मुझे पानी चाहिए,
 न मुझे खिलोने चाहिए,
 न मुझे बिछोने चाहिए...

माँ,
मुझे दूर न कर,
मुझे मजबूर न कर

माँ,
तुने मुझे वो सब दिया,
जो मैं मांग नहीं सकता,
तुने वो सब किया,
जो मैं बोल नहीं सकता,

माँ,
तू मुझे छोड़ के मत जाना,
तू कभी न मरना,तू कभी न मरना.......

माँ,
तुझे मेरी कसम,तू कभी न मरना...
मेरे रहते तुझे क्या चिंता,
मैं तेरा साथ निभाऊंगा,
तू रोना मत,बीमार न पड़ना,
तुझे मेरी कसम
तू कभी न मरना.......

माँ,
मैं नहीं जानता,
तू कहाँ से आई है,
कैसे आई है,
तुने क्या क्या
मुसीबते उठाई हैं,

माँ,
मैं नहीं जानता,
तू कब से नहीं सोयी है,
तू इतना क्यूँ रोई है,
तुझे इतनी बेचैनी क्यूँ है,

माँ,
मुझे बस इतना पता है,
तू ही मेरी रोटी है,
तू ही मेरा खाना है,
तू ही मेरी नींद है,
तू ही मेरा सपना है,
तू ही मेरा है बिछोना,
तू ही मेरा है खिलौना...

माँ,
तुझे मेरी कसम,
तू कभी नहीं मरना.......

आज मेरी रौशनी से मुलाक़ात हुई...

आज मेरी रौशनी से मुलाक़ात हुई...
पुछा,कहाँ हो? आजकल दिखाई नहीं देती!!
रौशनी ने मुस्करा कर तिरछी नज़र से देखा,
जैसे उसे मुझ पर हंसी आ रही हो ??

तरस खा कर मुझसे कहा रौशनी ने,
बड़ी देर लगा दी,कहाँ खो गए थे??
मैंने कहा,पता नहीं,दूर दूर तक ढूढ़ा,
पर तुम्हें कही पाया नहीं?

रौशनी हंसी,कहा..पलटकर पीछे देखते..
मैं तुम्हारे पीछे ही तो थी!!
आज मैं पछताया..........
पीछे मुड़कर न देखने वाली आदत को लेकर......

Sunday 15 May 2011

क्या मैं तुमको पा न सकूंगा...

क्या मैं तुमको  पा न सकूंगा...
बिना तुम्हारे कैसे जिऊंगा....


कैसे कहूँगा तुमको वो सब,
जो भी दिल में है मेरे,
अपने भोले भाले दिल को,
कुछ भी मैं समझा न सकूंगा?

क्या मैं तुमको...

तुम ही तो जीवन हो मेरा,
जबसे जीवन में आये,
दूर हो गए अब तो मुझसे,
मेरे अपनों के भी साए...
ले के चलूँगा तुमको अब मैं,
लेकिन ले कर कैसे चलूँगा?

क्या मैं तुमको पा न सकूंगा...

देखो, बिन तेरे,  जीवन में,
मेरे सुर्ख अँधेरे हैं,
कहाँ हैं सपने,यहाँ बस आंसू,
ये ही तो अब मेरे हैं....
ख्वाब तुम्हारे बिना अब,
जीवन के मैं कैसे बुनूँगा,

क्या मैं तुमको पा न सकूंगा...

जाने क्यूँ वक़्त हुआ बेवफा...

जीवन जैसे घोर तिमिर,
मीलों लम्बी अँधेरी गुफा...
पग पग पर लगती ठोकर,
जाने क्यूँ  वक़्त हुआ बेवफा...

न कुछ सोचा,न कुछ समझा,
जीवन का दांव लगा डाला..
सबकी खुशियों की खातिर,
आपको अपने मिटा डाला...
जो भी आस लगाईं कभी,
पलक झपकते टूट गयी..
आस लगाते न वक़्त हुआ,
खुशियाँ सारी रूठ गयी...

जीवन जैसे घोर तिमिर....


पंख कटे हम उड़ न पाए,
अभी अभी तो पंख थे आये.
मार के अरमां,पीकर आंसू,
मौत को देखा आस लगाए,
जीवन  से तो ना जीत सके,
पर मौत को भी न रास आये,
दूर हो गए हम सदियों तक,
सालों में जो पास आये....

जीवा जैसे घोर तिमिर,
मीलों लम्बी अँधेरी गुफा,
पग पग पर लगती ठोकर,
जाने क्यूँ  वक़्त हुआ बेवफा...




Saturday 14 May 2011

साईं तुम्हारा नाम बहुत है,हमको जीने के लिए...

साईं तुम्हारा नाम बहुत है,
हमको जीने के लिए....
बस तेरा अहसास बहुत है,
हमको जीने के लिए.....

हम अज्ञानी,हम क्या जाने,
क्या सही है,क्या गलत...
सब कुछ तुझपे छोड़ा बाबा,
तेरे होते क्या गफलत...
तू जो हो बस पास बहुत है,
हमको जीने के लिए.....

साईं तुम्हारा  नाम बहुत है,
हमको जीने के लिए...

जब जब ये मन भटके बाबा,
तू ही हमें बचाता है,
अछे बुरे का भेद भी साईं,
तू ही हमें बताता  है...
चरणों की तेरे सौगात बहुत है,
हमको जीने के लिए......

साईं तुम्हारा  नाम बहुत है,
हमको जीने के लिए...


Sunday 8 May 2011

है बहुत मुश्किल यहाँ अब,तुमसे मिलना ज़िन्दगी......

जाने कितने सजदे किये,
और कितनी बंदगी...
है बहुत मुश्किल यहाँ अब,
तुमसे मिलना ज़िन्दगी......

तुम्हारी आस में अबतक,
देखो सांस मेरी चल रही,
पर न जाने किस घडी,
 चल न दूं  मैं ज़िन्दगी...
है बहुत मुश्किल यहाँ अब,

कब तलक तुमको छुपाके
दिल में घूमूँ,मैं यहाँ,
कब तलक आगोश में
रखूं तुमको ज़िन्दगी,
है बहुत मुश्किल यहाँ अब,
तुमसे मिलना ज़िन्दगी......

कुछ बस में नहीं,कुछ बस में नहीं,कुछ बस में नहीं...

बैठे-बैठे बस सोचूं तुम्हें,
कुछ और नहीं कर पाऊं,
क्या करूँ,कितना सोचूं,
कुछ बस में नहीं,कुछ बस में नहीं,कुछ बस में नहीं...

सुबह से लेकर शाम तलक,
धरती से आकाश तलक,
आगाज़ से अंजाम तलक,
यहाँ से लेकर-वहां तलक,
वहां से लेकर- यहाँ तलक,
कुछ बस में नहीं,कुछ बस में नहीं,कुछ बस में नहीं...

बस चेहरा तेरा मेरे मन में बसा,
बस रूप तेरा मेरे मन में बसा,
बस याद तेरी जेहन में बसी,
बस बातें तेरी यादो में बसी,
सोचू कुछ इनके आगे ......पर
कुछ बस में नहीं,कुछ बस में नहीं,कुछ बस में नहीं...


आँखे तो बस रोना जाने,
तेरे दिल का होना जाने,
वो  क्या जानें,ये क्या जाने,
जाने तो बस इतना जाने.....
कुछ बस में नहीं,कुछ बस में नहीं,कुछ बस में नहीं...
.

इस तरह जीने से तो......बेहतर हैं मर जाएँ........

इस तरह जीने से तो,
बेहतर है मर जाएँ,
जी के तुमसे मिल न सके,
मर के हम मिल जाएँ...

ये जहां है इस तरफ,
इस तरफ है फ़र्ज़ अपना,
उस तरफ हम दोनों है,
उस तरफ है,क़र्ज़ अपना...
फ़र्ज़ पूरा करके अपना,
आओ क़र्ज़ चुकाए...

इस तरह जीने से तो......

पास हो पर साथ नहीं तुम,
जिंदगियों के साथ रही तुम,
बिन तुम्हारे जैसे निर्जन,
हो चला मेरा ये जीवन,
जिंदगी के पार चलकर,
आओ हम मिल जाएँ,

इस तरह जीने से तो,
बेहतर हैं मर जाएँ........

दिल कुछ भी करना चाहे,जो उसका अपना होता है!

दिल कुछ भी करना चाहे,
जो उसका अपना होता है!
उसके लिए तो मर भी जाना,
दिल का सपना होता है.....
दिल कुछ भी करना चाहे......

दिल उसके लिए हँसता है,
दिल उसके लिए रोता है,
कोई इसको क्या समझे,
क्या दिल का रिश्ता होता है?
दिल कुछ भी करना चाहे......

वो एक झलक दिख जाए,
इसको जन्नत मिल जाए,
जो उसकी आँखें नाम हों,
ये जीते जी मर जाए...
दिल कुछ भी करना चाहे,


कोई भी समझ न पाए,
ये इतना नाजुक होता है.
कोई इसको समझ न पाए,
ये हँसते हँसते रोता है,,
दिल कुछ भी करना चाहे,
जो उसका अपना होता है!!!