Sunday 10 April 2011

जय माँ सरस्वती

ऐसा दे वरदान , तू मैया
जग में कुछ , मैं कर जाऊं,
कर सकूँ उद्धार सभी का,
खुद को अमर मैं कर  जाऊं,

हाथ तेरे हैं, पावँ तेरे हैं,
शहर तेरे हैं,गाँव तेरे हैं,
नर तेरे,नारी भी हैं तेरी,
सत्मार्ग सभी को दिखलाऊं,
ऐसा दे वरदान .........

होंठ तेरे,जिव्हा भी है तेरी,
मृग तेरा ,तृष्णा भी है तेरी,
मन तेरा काया भी है तेरी,
अर्थ सभी को मैं बतलाऊं
ऐसा दे वरदान तू मैया......

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