Sunday 10 April 2011

हाँ, कुछ लहरों ने मुस्करा दिया... !!

उठती,थमती,चीखती,बलखाती,
थकतीं,पुनः जोश भरती,लहरों से
रोक के पुछा सागर ने .......
कहाँ -...कहाँ जा रही हो???


एक दूजे को देखती,
आँखे चुराती,जल्दबाजी में
कहा लहरों ने सागर से..
मिलने-...मिलने किनोरों से!!!!

सागर चौंका,सोचा-हंसा,
आश्चर्य,शंकित,थोडा संभलकर,
फिर से पुछा......
निरंतर मिलती रहती हो??

आँहे भरकर,रो कर,बेचैनी से,
कहा कुछ लहरों ने,
हमारे इतने भाग कहाँ,
हाँ, कुछ लहरों ने मुस्करा दिया... !!


11/4/2011



1 comment:

  1. किनारे से पूछो कभी
    की लहर जो आकर चली गयी
    मुझको भिगोकर चली गयी
    कितनी देर समेट पाएंगे उसकी गीली याद को
    दूसरी लहर आकर उस याद को धोकर चली गयी !

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