Sunday, 10 April 2011

तू किसे ढूढता है

तू किसे ढूढता है,
यहाँ कौन तेरा है,
गम में हैं भीगी रातें
आंसुओं में सवेरा है,


सब हैं मतलब के यार
तेरे सुख के बीमार
तू जो दुःख में हो डूबा
सब तरफ अँधेरा है,

तू किसे ढूढता है,...

तू जो खुश हो अगर,
सब तेरे साथ चलें,
गम की बदली हो छाई,
तन्हाईयाँ बस तुझे मिलें,

मतलबी लोगों का जग में,
तेरे संग बसेरा है.............

तू किसे ढूद्ता है,
यहाँ कौन तेरा है.....

०४/०२/१९९३

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