Saturday 30 April 2011

मैं तुम्हे अपना बनाना चाहता हूँ,

तुमको तुमसे ही चुराना चाहता हूँ,
मैं तुम्हे अपना बनाना चाहता हूँ,

गुल भी है,गुलशन भी है,इस जहाँ में,
महफ़िलें,दावत भी हैं,इस   जहां में,
लोगों का एक दुसरे से, हक भी
अदा है,     इस  जहां में,

मैं तुम्हें हर एक शै, में पाना चाहता हूँ,
मैं तुम्हें अपना.........

तुम कहाँ हो,तुम जहाँ हो,
ये सुना सबसे है मैंने,
तुम यहीं हो,तुम नहीं हो,
ये कहा सबसे है मैंने,

मैं तुम्हे हर जनम में ,पाना चाहता हूँ,
मैं तुम्हे अपना बनाना चाहता हूँ.

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